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Folklore

Uttarakhandi folklore is a rich tapestry woven from the threads of tradition, culture, and the stories passed down through generations in the heart of the Himalayas. These captivating tales are a reflection of the region’s unique history and the people’s deep connection with their land. Through oral narratives, songs, and dances, the folklore of Uttarakhand comes alive, narrating stories of brave warriors, legendary deities, and the trials and triumphs of everyday life. The stories often echo the awe-inspiring landscapes of the region, from the towering mountains to the pristine rivers and dense forests. Uttarakhandi folklore isn’t just a collection of stories; it’s a repository of wisdom, values, and the collective identity of the people. It transports listeners to a world where mythical creatures roam and the forces of nature intertwine with human destinies. Preserving these tales is not just an homage to the past, but a way to keep the spirit of Uttarakhand alive, ensuring that its cultural heritage continues to enchant and inspire generations to come.

Folklore
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काफल पाको में नी चाख्यो ​

कहानी भारतीय कुकू की
एक पक्षी जिसकी आवाज काफल पाको में नी चाख्यो जैसी होती है। बहुत वर्ष पहले पौड़ी के किसी छोटे से गौ में एक महिला और उसकी लड़की रहती थी , बेचारे बहुत गरीब थे। अपने देखा होगा उत्तराखंड की पहाड़ियों में एक जंगली फल जिसका नाम काफल होता है बहुत पाया जाता है ओर बहुत स्वादिष्ट भी होता है और यह महिला भी बड़ी बेसबरी से इस फल के पकने का इंतज़ार करती थी क्योंकि इसको पास के बाजार में बेचकर वोह अपना गुजारा करती थी यह फल मार्च के महीने में फल का रूप लेते है और मई तक पक जाते है।
एक बार वोह महिला सुबह के समय एक टोकरी में कुछ फल तोड़के लाई ओर अपनी लड़की को बोला कि इसको खाना मत में पास के गौ में जा रही हु जब वापस आउंगी तो बाजार लेजाउंगी यह बोलके वोह चली गई लेकिन गलती से टोकरी धूप में रख गई जिससे फल मुरझा गए और थोड़ा कम दिखने लगे जब वोह घर आई तो देखा कि फल थोड़े कम है महिला को गुस्सा आया और उसने अपनी लड़की को मारा लेकिन गलती से लड़की का सर लोहे पे लग गया और उसकी मौत हो गई अब जैसे ही शाम हुई तो ठंडी हवा के कारण जो फल मुरझाने की वजह से कम दिख रहे थे वो फिर से उतने ही हो गए यह देखकर महिला को बहुत दुख हुआ और कुछ दिन बाद बेटी के सदमे में उसकी भी मोत हो गई ।
कहा जाता है कि यह दोनों बाद में यह पक्षी बने अब जब भी काफल पकते है तो यह बोलना सुरु कर देते है बेटी बोलती है काफल पाको में नी चाख्यो मतलब काफल पक गए लेकिन मेने नही चखे ओर मा बोलती है पुर पुताई पुर पुर मतलब पता है बेटी पता है
अक्सर यह दोनों आवाज सुनने को मिलती है जहाँ काफल के पेड़ होते है।